कहानी और उपन्यास
यह साहित्य की दो विधाएं
कहानी छोटी सी
उपन्यास का विशाल संसार
कहानी एक घटना का विवरण करती
उपन्यास संपूर्ण जिंदगी को समेटे हुए
प्रभाव तो किसी का कम नहीं
छोटी छोटी कहानियां जिंदगी का संदेश देती जाती
जीना सिखा जाती
ताउम्र की सीख दे जाती
बरसों बाद भी जेहन मे ताजा रहती
उपन्यास जिंदगी के ताने बाने बुनता
समझने को विवश करता
पन्ने पर पन्ने पलटते जाते
पर मोह नहीं छूटता
पूरे परिवेश को समेट लेता
आज तक एक कहानी जेहन मे गूंज रही है
चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की
उसने कहा था
सारे रोमांस उस बिनकहे रोमांस के आगे फीके हैं
लहना सिंह को कौन भूल सकता है
दूसरा है उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का गोदान
कल के भारत का ही नहीं
आज के भारतीय किसान का भी जीवंत चित्रण है
गोदान का होरी मरा नहीं है
वह अभी भी विद्यमान है
दोनों ही विधा का अपना महत्व
उपन्यास विशाल सागर है
कहानी छोटी सी नदी है
पर वह सागर मे मिलकर अपना असतित्व नहीं खोती
जीवित रहती है
सदियों तक चलती है
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती है
आपसी संबंध को मजबूत करती है
उपन्यास पूरे समाज ,सभ्यता ,संस्कृति का परिचायक है
वह हालातों से रूबरु करवाता है
लड़ने की ताकत देता है
वह किसी एक जीवन के माध्यम से सारे संसार के जीवन का प्रतिनिधित्व करता है
उपन्यास सूर्य है
कहानी बिंदु है
दोनों के बीच एक ही समानता है
उनका केंद्र बिंदु जीव और जीवन है
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