चुनाव का माहौल
राजनीति अपनी चरम सीमा पर
गर्त मे जाती हुई दिखाई दे रही
जम कर बयानबाजी हो रही
अनाप -शनाप बका जा रहा
लोकतंत्र है भाई
पर लोकतंत्र की मर्यादा भूला बैठे हैं
भाषण देते समय लज्जा नहीं आती
किसी महिला के बारे मे अभद्र टिप्पणी
उस सभा मे महिलाएं भी तो होगी
उनका भी सर शर्म से झुक गया होगा
औरतें तो हर घर मे है
वह क्या सोचती होगी
स्वयं के घर की
यह कैसा पुरुष है
जो अभद्र बोल ,बोलकर पुरुषार्थ दिखला रहा है
इतने निचले स्तर की राजनीति
यहां नेहरू ,वाजपेयी जैसे भी नेता हुए हैं
मर्यादा को नहीं तोड़ा
उनके भाषण सुनने को लोग उत्सुक रहते थे
आज के नेता जरा अपने को काबू मे रखे
यह जया प्रदा का अपमान नहीं है
भारतीय राजनीति के घटिया स्तर का गवाह है
हर दिन किसी न किसी पर अभद्र टिप्पणी
यह तो लोकतंत्र का स्वभाव नहीं
अपनी बात कहे
पर शालीनता और मर्यादा मे रहकर
जनता को नेता चाहिए
नेताओं के बिगड़े बोल नहीं
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