झपकी लेना
कहीं भी कभी भी
उससे अच्छा तो कुछ भी नहीं
थके हैं
ट्रेन में बस मे बैठे हैं
ऊब रहे हैं
झपक लो
कोई देख रहा है
देखने दो
क्या फर्क पड़ता है
आप तो तरोताजा हो जाएगा
जब दिमाग ही थक गया हो
काम नहीं कर रहा हो
तब आँख खुली रखकर क्या फायदा
उबासियाँ लेते रहे
जागते रहे
उससे तो बेहतर है झपक लो
हाँ स्थान और समय का ध्यान रखा जाय
मीडिया का जमाना है
सार्वजनिक जीवन मे जो है
उसे ख्याल रखना ही होगा
नींद पर तो किसी का वश नहीं
उसकी तो अपनी मनमर्जी
कभी तो गोलियां खाने
तमाम प्रयत्न करने पर भी नहीं आती
झपकी ऐसे नहीं आती
थकान होने पर आती है
फिर वह जवान हो बच्चा हो बूढ़ा हो
अगली बार ऐसे को देख हंसे नहीं
उसके हालात पर गौर करे
अगर नींद पूरी हो तब
झपकने की कोई बात ही नहीं
बहुत बार दुर्घटना ड्राइवर के झपकने पर हुई है
उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी
अतः झपकने वाले के प्रति सहानुभूति रखे
और बस /ट्रेन या ऐसे साधन वाले पर ध्यान रखे
पुलिस जैसे लोग
कभी कभी दो दो रात सो नहीं पाते हैं
इंसान है
ड्यूटी करने के साथ आराम का समय भी दिया जाय
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