देखा है उसको कोयले के साथ
छप छप मछली काटती जाती
जैसे कोई मशीन हो
दिल भी है??
खून देख कर भी जी विचलित नहीं होता
यह तो हर रोज का काम है
वह मछुआरे की पत्नी है जो
मजबूत तो बनना ही पडेगा
समुंदर की लहरों से लडने के लिए भेज देती है पति को
जान हथेलीपर लेकर
कब तूफान आ जाय
नौका उलट पुलट हो जाय
कहा नहीं जा सकता
वह भाग्य भरोसे नहीं है
कर्म कर रही है
कठोर तो होना ही होगा
कर्मपथ आसान नहीं होता
पग पग पर परेशानी
फिर भी मजबूत
मजबूर नहीं कर्मठ
काम तो काम
वही पूजा
शिद्द्त से डटी है
छपाक छपाक
एक कटी दूसरी हाथ में ली
ग्राहक खडे हैं
वह कैसे विचलित हो
मछली ही रोजी-रोटी
उदर भरण का साधन
विचलित नहीं हो सकती
खून देखकर डर जाय
तब उसके इस व्यवसाय का क्या ?
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