व्हाट्सप से जब मुलाकात हुई
दुनिया जैसे सिकुड़ गई
सुबह होते ही सबसे पहले इसे देखना
किसी का मेसेज आया है क्या ??
फिर रिप्लाय करना
जिसका नहीं उसको गुड मार्निग का संदेश भेजना
हर त्यौहार और पर्व पर याद करना
जन्मदिन ,एन्वर्सरी पर बधाई
हर मौके पर शुभकामनाएं
बातचीत न हो
नापसंद हो
तब भी औपचारिकता निभाने का माध्यम
मूड खराब हो देख कर ठीक कर लो
जब चाहे बात कर लो
यह तो आदत में शुमार हो गया
जब तक न देख ले
बेचैनी कायम
कहीं हम इसके गुलाम तो नहीं बन रहे
पास बैठे हुए व्यक्ति पर ध्यान नहीं
दूर वाले से संवाद साध रहे
घर वालों से मुस्कुरा कर बात नहीं
दूसरों को स्माइली का संदेश
ईश्वर का नाम नहीं ले सकते
उस पर भर भर कर संदेश
ऐसा तो नहीं यह हमे ही सिकुड़ा कर रख दे रहा
फायदेमंद तो साबित हुआ
नजदीकिया भी बढा रहा
पर हमारी अपनी दुनिया को समेट रहा
हम अपनों को नजरअंदाज कर रहे
पास बैठे हुए की उपेक्षा
अपनों की उपेक्षा
यह तो शुभ संकेत नहीं
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