हम आए इस संसार में
वह हमारी मर्जी से नहीं
हमें मातापिता मिले
भाई बहन मिले
रिश्तेदार मिले
दोस्त मिले
पडोसी मिले
सहकर्मी मिले
यह सब भी हमारी मर्जी से नहीं
लेकिन जीवन तो जीना ही है
सब हमारे मनमुताबिक हो
यह भी जरूरी तो नहीं
जिस पर हमारा वश नहीं
उसकी चिंता क्यों ??
जन्म पर हमारा वश नहीं
मृत्यु पर हमारा वश नहीं
बीमारी पर हमारा वश नहीं
आपदा पर हमारा वश नहीं
भूतकाल पर भी हमारा वश नहीं
भविष्य पर तो बिलकुल नहीं
हम तो रेलगाड़ी के वह मुसाफिर है
जिसे कोई और चला रहा है
गाडी आई
हम चढ गए
उसमें सब अंजान है
कोई हमें पसंद नहीं करता
पर हम अपनी जगह बनाते हैं
कभी प्रेम से
कभी लडझगडकर
और जब उतरते हैं
तब कोई याद नहीं रहता
हम भूल जाते हैं
पर अतीत को नहीं भूला पाते
भविष्य की कल्पना में खोए रहते हैं
जबकि वह जो वर्तमान है
उसे भूल जाते हैं
जब हमारे हाथ में कुछ नहीं है
बस क्षण है
उसे नहीं जी पाते
ताउम्र समझ नहीं पाते कि
हमारे हाथ में कुछ नहीं है
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