ढोल बजने रहे हैं ढम ढम
कहीं जश्न की खुशी में
कानों के परदे फटे जा रहे हैं
यह जश्न-ए-आजादी है
आवाज करो
शोरगुल मचाओ
सडक जाम करो
हम तो बजाएंगे
मन भर , जी भर
किसी के बाप का क्या जाता है
हमारा देश है
हमारा शहर है
हमारा मुहल्ला है
हमारे पडोसी है
कोई रोकटोक नहीं
कोई माई का लाल
रोक कर तो दिखाए
उसकी शाम आई होगी तभी
चलो रे
बजाओ ढोल
ढम ढमा ढम
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