कभी-कभी अंधेरा भी भला लगता है
सबसे दूर ,एंकात में
केवल अपने में
न किसी से बातचीत
न कोई रोकटोक
प्रकाश से दूर
जहाँ किसी की नजर न पडे
अपनी भी नजरों से ओझल
बस अंधेरे में खोकर
स्वयं को पहचानना
कितना सुखद
सबकी दृष्टि से ओझल
बहुत मददगार साबित होता है
यह अंधेरा
अंधेरा बुरा नहीं भला लगता है
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