याद आ गई उस शख्स की
वह मेरे जीवन का अहम हिस्सा
पर उसके रहते उसकी अहमियत समझ ही नहीं पाई
वह छोटी बहन थी
लडाई झगड़ा
डाटना फटकारना
रौब जमाना
यही करती रही
बडी बहन के नाते
जब चली गई तब पता चला
अकेली हो गई
हर मौके पर उसकी याद
सब अपने में व्यस्त
वह होती तो साथ होती
हमें इसका एहसास नहीं होता है
यह शख्स हमें छोड़ जाएगा
महसूस होता है
जाने के बाद
हम उलझनों में व्यस्त रहते हैं
प्रेम के दो मीठे बोल भी नहीं बोल पाते
जबकि वे हमारे अजीज होते हैं
आज एक कसक उठती है
काश फिर हम मिल पाते
तब सारे गिले शिकवे दूर कर लेते
पर वह तो उस लोक में है
जहाँ से वापस लौटना मुश्किल
अब तो ऊपर ही मुलाकात होगी
उस अंजाने लोक में
तब पुछूगी
हमारी याद नहीं आई
इतना बड़ा कदम उठा लिया
किसी और के कारण
एक बार अपनों पर एतबार किया होता
हम हर हाल में साथ खडे रहते
जिंदगी से ऐसे कैसे हार मान ली
हमें अकेला कर गई
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