फूल तो रेगिस्तान में भी खिलते हैं
कितना भी कठोर हो
अंतरतम में एक कोमल दिल रहता है
प्यार भी हिलोरे मारता है
दिल हिचकोले खाता है
पत्थर में भी झरने फूटते है
लहरे झूमती मचलती है
दिल में ज्वालामुखी का लावा उबलता हो
तब भी उसमें पानी की फुहारे रहती है
स्नेहमयी स्पर्श से प्यार का झरना फूटेगा
फूल मुस्कराएगे
कलियां खिल उठेगी
ज्वालामुखी शांत हो जाएंगा
कण कण द्रवित हो उठेगा
बस प्यार भरी थोडी-सी फुहार की दरकार
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