मैं तो इतनी देर से आया
सब इंतजार में थे
गर्मी के मारे बेहाल थे
अब आया हूँ
जल बरसा रहा हूँ
तब सब परेशान
दोष मुझे ही दिया जा रहा
सडकों पर जलजमाव
जन-जीवन अस्तव्यस्त
कहीं दिवार गिर रही
कहीं पटरियां डूब रही
लोगों की जानें जा रही
गटर भर रहे
मैं तो बमुश्किल तीन-चार महीने रहता हूँ
उसके पहले इंतजाम क्यों नहीं किया जाता
सारा सिस्टम जर्जर है
लोग परेशान
हर बरसात में यही आलम
मैं तो बरसों से देख रहा हूँ
दुख होता है
लगता है कि
यहाँ दस्तक ही न दू
परेशानी का सबब न बनू
पर फिर वही मजबूरी
लोगों की बदहाली देखी नहीं जाती
मैं पूरे लाम लश्कर के साथ आ जाता हूँ
हादसो का कारण बन जाता हूँ
क्या करू
मैं मन की सुनने वाला
मान सुन हूँ
सुनना भी है
मानना भी है
सतर्कता तो बरतना ही है
सावधानी हटी
दुर्घटना घटी
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