टूटे होगे तभी जुडेगे
गिरेंगे तभी उठेगे
गलती होगी तभी सुधार होगा
दुख होगा तब सुख होगा
अंधकार होगा तभी प्रकाश होगा
भूख होगी तभी पेट भरा जाएगा
नाराजी होगी तभी खुशी होगी
अपमान होगा तभी सम्मान होगा
असम्भव होगा तभी संभव होगा
सब कहीं न कहीं जुडे हुए
यह हर जीवन में
तब सोच क्यों
जुडे रहे
एक के बाद दूसरा तैयार
हमेशा कुछ भी नहीं रहता
जीवन ही नहीं
तब जीवन के ये सब भाग कैसे रहेंगे
वक्त सब तय करता है
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