सुबह हुई
गुलाब के पंखंडियो सी खिली हुई
ताजी ताजी
ओस में नहाई हुई
रोशनी बिखेरती हुई
अपने आगमन का संदेश देती
चिडियाँ की चहचहाट से
पत्तों में सरसराहट से
कहती हूई
भोर हुई
अंधकार भागा
अब तो जागो
वो सोने वालों
यह सोने का वक्त नहीं
जागो तब आगे
सोए रहे तो वही के वही
सब आगे निकल जाएँगे
तुम ताकते रह जाओगे
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