ईश्वर की हर रचना अनुपम
बस देखने का नजरिया हो
हर जीव मौल्यवान
सबकी अपनी-अपनी अहमियत
काला और कर्कश कौआ
जिसे लोग पसंद नहीं करते
वही पूर्वजों के रूप में पन्द्रह दिन
ये श्राद्ध के विशेष दिनों में उसकी खूब आवभगत
सब उसकी प्रतीक्षारत
कितनी वैज्ञानिक विचारधारा थी
जो सडी गली चीजे खाता है
परिसर को स्वच्छ रखने में मददगार
उसकी उपेक्षा तो नहीं कर सकते
वर्ष में एक बार तो कार्य का सम्मान करें
उसको भी अच्छा पकवान दे
यह पर्यावरण रक्षक जीव
हमें सिखा जाता है
किसी को कम मत ऑको
किसी की आवाज
किसी का रंग रूप
किसी का ऊपरी व्यक्तित्व
बस इससे ही मत प्रभावित हो जाए
उसके गुणों को जानिए
तब उसके बारे में विचार बनाइए
जिंदगी में कब किसकी जरूरत आ पडे
यह तो कोई नहीं जानता
जब प्रभु राम को भी रावण से युद्ध करने के लिए
बंदरों का सहारा लेना पड़ा
इसी वानर सेना ने लंकेश के साम्राज्य को तहस नहस कर दिया
हर जीव हर प्राणी सब मौल्यवान
हमारा धर्म तो इसका कितना बडा पक्षधर
वह सभी को साथ लेकर चला सदियों से
हम तो इंसान में भी भेदभाव करते हैं
काले गोरे ,खूबसूरत बदसूरत
इससे ऊपर उठकर सोचे
जनकल्याण में ही सबका कल्याण है
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