Sunday, 20 October 2019

चल अपने घर का रास्ता नाप

तेरा इंतज़ार था बेसब्री से
जब तक नहीं आई
सब तडप रहे थे
तप्त रहे थे
जल रहे थे
जब आई तो सुकून मिला
गर्मी से राहत मिली
धरती भी शीतल हुई
हरियाली की भी बहार आई
पेड़ पौधें सब लहर उठे
फूल और कली मुस्करा उठे
पर साथ में ले आई
आफत की बरसात भी
गड्ढे और जलजमाव
ट्रैफिक जाम
चारों तरफ कीचड़
घर से निकलना दुश्वार
फिर भी लोगों ने तुझे झेल लिया
क्योंकि तू जरूरत है
अब तो सब लबालब
फिर भी तू जमी हुई है
रह रह कर वर्षाव कर रही है
तेरा समय तो चार महीने का
पर तू अभी तक पैर पसारे हैं
त्यौहार आ रहे हैं और जा भी रहे हैं
सावन तो खत्म हुआ
गणेशचतुर्थी ,दशहरा और अब दीपावली
लगता है कि
सारे त्यौहार मना कर ही जाएंगी
लोग परेशान हैं
त्यौहार का आनंद भी अच्छी तरह न ले पा रहे हैं
पहले गुहार लगा रहे थे
आ आ आ आ
अब कह रहे हैं
जा जा जा जा
एक बडा संदेश भी मिल रहा है
तब तक रूको
जब तक आपकी अहमियत हो
ज्यादा दिन मेहमान रहोगे
तब खटकने लगोगे
यहाँ बिना मतलब कुछ भी नहीं
जब तक जरूरत
तब तक वाह वाह
नहीं तो फिर भाई
यह कहते देर नहीं
चल अपने घर का रास्ता नाप

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