फट फट पटाखे
फट फट बज रहे
धुआं धुआं कर रहे
नाक और ऑखों में जा रहे
दम घुटा रहे थे
कुछ दूर खडे आनंदित हो रहे थे
कुछ बच्चे उछल रहे थे
कुछ ताली बजा रहे थे
कुछ भाग रहे थे
कुछ खांस रहे थे
कुछ बुजुर्ग भी अडोस पडोस में
खिड़की - दरवाजे बंद कर रखे थे
यह आवाज और प्रदूषण सहन नहीं
किसी के लिए त्योहार
किसी के लिए जानलेवा
त्यौहार ऐसा हो
बच्चे और बुजुर्ग दोनों प्रसन्न रहे
बच्चे तो बच्चे ठहरे
पर सोचना उनके बडो को है
No comments:
Post a Comment