गांधी सोच रहे हैं
ऊपर से अपने भारत को देख रहे हैं
आखिर राष्ट्रपिता जो ठहरे
स्वर्ग में भी सुकून कैसे मिलेगा
नीचे देखा तो
कचरे के ढेर और कूडा
यह क्या हो गया मेरे देशवासियों को
मैंने तो स्वच्छता का संदेश दिया था
स्वयं हाथ में झाडू उठाया था
स्वावलंबन का महत्व समझाया था
अब थोड़ा और आगे नजर डाली
यह क्या झूठ का बोलबाला
हमारे नेता ही जमकर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं
सादा जीवन का उदाहरण रखा था
यह तो अपना ही घर भर रहे हैं
आए दिन जेल जा रहे हैं
अब थोड़ा और आगे नजर डाली
सत्याग्रह का क्या हाल है
अपनी नाजायज मांग मनवाने के लिए कोई भी धरने पर बैठ रहा है
बस ,रेल ,पब्लिक प्रॉपर्टी जलाई जा रही है
तोड़ फोड़ जम कर
जब मन आया धरने पर बैठ गए
जनता को बेवकूफ बना मलाई स्वयं खा रहे
बापू को अब कौन पूछता है
सत्याग्रह को कठपुतली बना दिया है
बुरा मत देखो बुरा मत सुनो बुरा मत बोलो
तीन बंदर यह प्रतीक तो गायब है
बुराई और आलोचना की भरमार
किसी को कुछ भी बोलो
प्रजातंत्र को जम कर धज्जियां उड़ाई जा रही
रही बात राम राज की
तो राम तो स्वयं विवाद में
उनके नाम पर अशांति फैलाई जा रही
अहिंसा तो दूर खडी तमाशबीन है
हत्यारो के सम्मान की बात हो रही है
हत्या को जायज ठहराया जा रहा है
वैष्णव जन तो तेने कहिए
पीर पराई जाने रे
यह भावना विलुप्त
अब गांधी सर पर हाथ रख कर कह रहे हैं
ईश्वर - अल्ला तेरो नाम
सबको सम्मति दे भगवान
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