अच्छा तब लगता है
जब मन अच्छा हो
कितना भी सुहावना शमा हो
खुशी नहीं दे सकता
जब तक कि मन खुश न हो
कितनी भी शांति हो
सुकून नहीं दे सकती
जब आपका मन अशांत हो
बेचैनी डेरा डाले रहेगी
तब चैन कैसे मिलेगा
खुशी भौतिक सुविधाओं से नहीं
अंतर्मन में समायी रहती है
उसे खरीद नहीं सकते
इसका कोई दाम नहीं है
भारी भीड में भी अकेले हो सकते हैं
अपने में ही खोये रह सकते हैं
यह सब एहसास है
जैसा एहसास वैसा ही सब
फिर वह खुशी हो या गम
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