मर्द ऐसे ही होते हैं
यह धारणा
औरत ऐसी ही होती है
यह धारणा
बिना सोचे समझे
किसी के बारे में धारणा बना लेना
अपने कटु अनुभवो से सोच लेना
तब यह हम भूल जाते हैं
यही मर्द पिता ,भाई ,बेटा और दोस्त भी है
यही औरत माँ ,बहन ,बेटी और पत्नी भी है
सब एक जैसे नहीं होते
सबको एक ही तराजू में तौलना यह न्यायोचित नहीं
सही है कि गलत हुआ है
और यह इस शख्स ने किया है
पर उसके कारण उसकी पूरी जाति
वह औरत हो या मर्द
हम संदेह नहीं कर सकते
इस तरह तो जीना और रहना मुश्किल हो जाएगा
समाज में सब तरह के लोग है
अच्छे और बुरे
इन्हीं अच्छो के कारण दुनिया टिकी हुई है
बस ऑखों को खोलकर रखें
सचेत रहे
शंकित न रहे
विश्वास रखे
सब बुरे नहीं होते
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