जिंदगी का काम ही है झूला झूलाना
ऊंचे नीचे पेंग मारती ही रहती है
न रूकती है न थमती है
डोलती रहती है
न कसकर पकड़ो तो कब गिरा दे
कह नहीं सकते
डर भी लगता है
जब जोर से झुलाती है
अच्छा भी लगता है
जब हौले हौले झुलाती है
कभी हम स्वयं झुलते है
कभी पीछे से कोई धक्का देकर झुलाता है
कभी-कभी जोर से हम भी पेंग मार ही लेते हैं
यह सीखना पडता है
अभ्यस्त होना पडता है
नौसिखिया को तो सीखना पडेगा
बिना प्रयास के तो अच्छी तरह नहीं झूल सकते
जब इस झूले का मजा लेना है
तब कोशिश करें
दूसरों को झूलते देखना और झूलाना
अच्छा लगता है
पर कब तक दर्शक बने रहेंगे
मजबूती से बैठे और झूले
मजा ले
झूलना तो है ही
डर कर या निडरता से
खुशी से या नाखुश हो
चिल्लाकर या शांत हो
क्योंकि यह तो जिंदगी है
जीना है तो झूलना है
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