Thursday, 14 November 2019

चलो चलें फिर बच्चा बन जाए

मन तो अभी भी वही है
साठ साल पहले जहाँ था
अब भी घूमने के लिए मचलता है
अब भी दोस्तों संग खेलना चाहता है
अब भी यहाँ वहाँ भटकना चाहता है
दिन भर मटरगश्ती करना चाहता है
अब भी शैतानिया करना चाहता है
अब भी धमा-चौकड़ी मचाना चाहता है
बरसात में भीगना चाहता है
पैरों से कीचड़ उछालना चाहता है
मन भर सोना चाहता है
उल्टा पुल्टा खाना चाहता है
चिंता से परे रहना चाहता है
बिना कारण खी खी कर हंसना चाहता है
जिद करना चाहता है
रूठना चाहता है
किसी भी बात के लिए मचलना चाहता है
पर वह हो नहीं सकता
अब हम बुजुर्गों की श्रेणी में आ गए हैं
अब समझदार हो गए हैं
नासमझ होने का मजा ही कुछ और है
सब गलती माफ
काश वह दिन लौट आते
मन तो अभी भी बच्चा है
साठ साल में छह साल का बच्चा बसता है
अभी भी वही सब करना चाहता है
समय बदला है
वक्त के साथ अंदाज भी बदलता है
तब खुद खेलते थे
आज बच्चों को खेलता हुआ देखें
अपने पुराने दिनों की याद में खुश हो ले
उसकी जिद पूरी करें
उसमें अपना प्रतिबिम्ब देखें
फिर से बच्चा बन जाए
तन बूढा हुआ है मन नहीं
मन को तो मनमानी करने दे
चलें फिर बच्चा बन जाए
उनकी खुशियों में खो जाए

No comments:

Post a Comment