उगते हुए सूर्य भगवान की पूजा
तो किया ही जाता है
डूबते हुए सूर्य भगवान को की भी पूजा आराधना
यह हमारी भारतीय संस्कृति
हम जडो से बंधे हुए हैं
हमारी आस्था अक्षुण्ण है
आस्था का महापर्व है छठ
छठ मैया की पूजा कर
भगवान भास्कर को अर्घ अर्पित कर
उनका आभार प्रकट करते हैं
सूर्य का प्रकाश ही जीवन है
उस प्रकाश दाता का सम्मान करते हैं
जल और प्रकाश इनसे जीवन है
तब इतना तो बनता ही है
यहाँ भगवान की मूर्ति नहीं
साक्षात सूर्य के सामने खडे होकर अर्चना की जाती है
भक्त और भगवान का साक्षात्कार
यह दृश्य तो अनुपम है
ईश्वर दिखाई नहीं देते
इस मिथक को तोड़ते हैं
यहाँ तो समक्ष ही है
उदयाचल के सूर्य के साथ अस्ताचल के सूर्य की पूजा
यह भी आभास कराती है
जीवन की सुबह ही नहीं संध्या भी महत्वपूर्ण है
जिसने हमें जीवन दिया है
उनकी जीवन संध्या पर उनको सम्मान देना यह बडा कर्तव्य है
भूलना नहीं है
जाते जाते भी वह अपना प्रभाव छोड़ ही जाते हैं
भगवान भास्कर भी दिन भर जलकर संध्या को जाते जाते सुकून दे जाते हैं
शक्ति दे जाते हैं
उस सूर्य उपासना का महापर्व है छठ
अपने आप में अद्वितीय
छठी मैया और भगवान भास्कर की कृपा सब पर बनी रहे
जय हो छठी मैया
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