क्यों उदास है
क्यों निराश है
क्यों हारा हुआ है
क्यों ठगा हुआ है
क्यों कमजोर है
क्यों मजबूर है
क्यों विवश है
क्योंकि वह आम इंसान है
यह सब समय समय-समय पर होता है
हर अदना शख्स के साथ
क्योंकि वह ईश्वर नहीं है
उसका भाग्य पर कोई जोर नहीं
वह कर्म तो कर सकता है
करता भी है
पर उचित प्रतिफल नहीं मिलता
भाग्य के आगे धक्का खा जाता है
महसूस करता है
सोचता है
जोर लगाता है
तब भी भाग्य को बदल नहीं पाता
यही वह निराशा के गर्त में चला जाता है
भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है
वह थाह नहीं पाता
वह तो वर्तमान में ही उलझ कर रह जाता है
जब रास्ता नजर नहीं आता
तब वह कोशिश करना भी छोड़ देता है
जो होगा देखा जाएगा
जब भाग्य ही साथ नहीं
तब क्यों कुछ करें
जिस हाल में है
ठीक है
जी तो रहे हैं
बस वह यही बैठ जाता है
और ताउम्र बैठा ही रहता है
एक ही जगह
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