Monday, 11 November 2019

क्या बच्चे भेदभाव से परे ???

बच्चों का मन भोला होता है
वह भेदभाव नहीं करते
पर बचपन में जब देखा
तब विपरीत था
तब हम काला और गोरा देखते थे
जिसके पास पैसा और खिलौना रहता
उसी के साथ खेलते थे
विशेष बच्चे को पागल कहते थे
दिव्यांग को काना ,लूला ,लंगड़ा कहते थे
बुजुर्गों को परेशान करते थे
कभी उनके घर की घंटी बजा
कभी उनकी काठी लेकर
टीचर को भी परेशान
माँ बाप से झूठ बोलना
छोटे भाई बहनों को सताना
फूल तोडना
तितली को पकड़ परेशान करना
पढाई से जी चुराना
खाने को छिपाकर कूड़ेदान में फेकना
ऐसे न जाने कितनी गुस्ताखियाँ की है
पर आज वह सब कुछ माफ है
तब हम बच्चे जो थे
देखा जाए तो
इंसानी फितरत जन्म से ही शुरू हो जाती है
हाँ उसे बचपना कहा जाता है
यही बचपना आगे चलकर
विशाल वट वृक्ष का रूप धारण करता है
अगर सही समय में उसे मार्गदर्शन न किया जाए

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