फूल बगीचे में खिल रहा था
बगिया की शोभा बढा रहा था
बगिया के किनारे कांटे की बाड लगी थी
ताकि कोई तोड़ न सके
फिर माली भी मुस्तैद था
रखवाली करना था
मालिक का आदेश था
बच्चे बाहर से हाथ डाल तोड़ने का प्रयास करते
आने जाने वाले भी ललचाई नजरों से देखते
कुछ महिलाए भी अपने बालों पर हाथ फिराते जाती
मिल जाता तो खोंस लेती
कुछ बुजुर्ग अपने ईश्वर के लिए चढाने का सोचते
लगता फूल मुस्कराते हुए उन्हें चिढा रहा है
हर रोज यह होता
सुबह खिलता
सांझ को मुर्झाने लगता
रात में कब टूट कर गिर जाता
माली सफाई करते उन्हें कचरे के ढेर में डाल आता
पौधे को यह बुरा लगता
वह सोचता कि
यह भी कोई जिंदगी है
जो किसी के काम न आ सके
शायद यह कोई तोड़ता
तब ईश्वर के चरणों में अर्पित करता
किसी सुंदरी के केशों की शोभा बनता
बच्चे ले जाकर खेलते
किसी गुलदस्ते में सजता
यहाँ तो यह केवल आकर्षण का केन्द्र है
क्या फायदा ऐसी खूबसूरती का
जो किसी के काम न आ सके
जीवन तो खुशी देने में है
अपने लिए तो सब जीते हैं
दूसरों के लिए भी तो जी ले
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