हम किसी के घर जाते हैं
कोई दुखद घटना घटी
कुछ परेशानी
कोई बीमारी
या और कुछ
हम जाते हैं
सांत्वना देने
दुख बांटने
समझाने
धीरज बंधाने
पर यह बिल्कुल सत्य है
शायद नहीं
हम अपने को भी समझाते हैं
धीरज बंधाते है
इनके साथ ऐसा हुआ
हमारे साथ भी ऐसा ही है
सबके साथ अनहोनी घट सकती है
उस शख्स को सांत्वना मिली या न मिली
यह तो वही जाने
पर हमें जरूर मिली
गम थोड़ा हल्का हुआ
सुख में भागीदारी नहीं चाहता कोई
पर दुख में भागीदारी चाहता है
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