वह भी एक वक्त था
जब हम अपने प्रियजनो की आवाज सुनने को तरस जाते
न कोई खबर न कोई संदेश
मन चिंतित
सब ईश्वर भरोसे
कभी-कभी एक साल में मुलाकात
कभी-कभी सालों बाद
किसी को किसी का हाल पता नहीं
दिल को मजबूत कर
राह देखते थे
कुशल मंगल की कामना करते थे
ऑख फडकती तब भी अंदेशा होता
बाहर तो निकलना था
नौकरी और व्यापार तथा रोजी-रोटी के लिए
चिट्ठी पत्री पर निर्भर रहना था
पढे लिखे तो ठीक
अनपढ़ के लिए बहुत मुश्किल
दूसरों से पढवाना पढता
व्यक्तिगत और गोपनीय नहीं लिख सकते
दूसरों के हाथ पडने का भी अंदेशा
फिर आया टेलीफोन
थोड़ी राहत जरूर मिली
पर वह सबकी पहुंच से बाहर था
फिर विज्ञान की क्रांति
एक बहुमूल्य तोहफा
वह है मोबाइल
हर हाथ में
हर वक्त
यहाँ तक कि दूर वाले से भी आमने-सामने बातचीत संभव
मन का तनाव दूर
जब प्रियजन की याद आए
चिंता सताए
तब मोबाइल उठाएं
बात कर ले
जानकारी ले लें
जी हल्का कर ले
शान से कहें
जब हाथ में है मोबाइल
तब क्या है गम?
इससे तो सब संभव
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