रिश्ते हैं संपत्ति नहीं
उन्हें तिजोरी में बंद नहीं करना है
बिना वजह खर्च नहीं करना है
खोने भी नहीं देना है
संभालना है
मिलना-जुलना है
बतियाना है
सुख दुःख का भागीदार बनना है
कोई रूठ जाए तो मनाना है
गलती करे तो माफ करना है
अनचाही बातों को नजरअंदाज करना है
समय समय पर प्रेम जताना है
यह माला के वह बहुमूल्य मोती है
जिसमें से एक भी अगर टूट जाए
तब माला बिखर जाएंगी
उसकी शोभा खत्म हो जाएगी
तब हर मोती को जी जान से संभालना है
इनके बिना तो अधूरी है माला
हमारा परिवार ,समाज ,देश
सब इसी माला की कडी है
हर रिश्ते की हिफाजत
हर एक की जिम्मेदारी
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