कितनी दौड़ रही है
ऐ जिंदगी
जरा सुस्ता ले
दो घडी बतिया ले
हंस ले दिल खोलकर
मिल जुल ले अपनों से
जरा पास तो बैठ उनके
उनको गौर से देख
उनकी भावनाओं को समझ
उनके होठों पर मुस्कान ला
जरा बेफिक्र हो जा
ऐसे ही चहल कदमी कर
कभी बिना काम के भी बैठ
छुट्टी ले
स्वयं को भी आराम दे
आकाश की ओर निहार
चिडिया की ची ची पर गौर कर
हवा को महसूस कर
कभी बिना कारण भी कुछ कर
जो मन चाहता है
संकोच छोड़ दे
जीना मत छोड़
दौड़ बहुत हो चुकी
आपाधापी मत कर
धीमी ही सही
चलने दे आहिस्ता आहिस्ता
आनंद को महसूस कर
दौड़ते दौड़ते कहीं
खुशी खुद से खुसर पुसर न करें
तुझे छोड़ जाने की बात करने लगे
समय है अब भी
उसे कस कर पकड़
भागने को लगाम दे
बहुत हो चुकी दौड़
ऐ जिंदगी
जरा सुस्ता ले
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