कभी-कभी लगता है
मनमानी करो
सब झंझट छोड़ दो
बस स्वयं में रम जाओ
घर गृहस्थी का चक्कर छोड़ो
बहुत उलझ चुके इस मायाजाल में
इसका बंधन तोड़ दो
बहुत वक्त बीत चुका
सब कुछ समेटते
अब बस भी करो
सबको ,सबके हाल पर छोड़ दो
समय कम है
उसका सदुपयोग कर लो
सबके लिए जी लिए
अब तनिक अपने लिए भी जी लो
यह आपाधापी
यह भागम-भाग
छोड़ जरा विश्राम करो
कुछ मन की सुन लो
कुछ उससे भी बतिया लो
सब झंझट छोड़ दो
बस अब मनमानी करो
अब तनिक अपने लिए भी जी लो
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