हम तो वह शख्स है
जहाँ बैठ जाय
वहाँ महफिल जम जाय
हंसी के ठहाके लगने लगे
बहस छिड़ जाय
लोग ध्यान से सुनने लगे
समझने लगे
रूचि लेने लगे
विषय कोई भी हो
हर विषय लाजवाब हो जाय
धर्म और जाति का भेद मिट जाए
भाषा कोई भी हो
सब सामंजस्य हो जाय
बस भावना हो
दोस्तों का संग हो
खुशी का माहौल हो
मिजाज भी साथ हो
बस ज्यादा कुछ नहीं
इतना ही काफी है
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