कुछ चले गए
साथ छोड़ गए
यादों में कैद हो गए
फिर कभी नहीं मिले
याद है पर उसका क्या
कभी खुशी कभी गम
कभी मुस्कान
कभी ऑसू
दिल तडप जाता है
क्यों रोक न पाए हम
पर वह हमारे हाथ में कहाँ ??
हम विधाता नहीं है न
जो साथ थे
आज तस्वीर में है
हर पल देखते हैं
उनका स्नेह
उनका प्यार
हमारे अपने हमें क्यों छोड़ गए
उनकी छत्रछाया से क्यों मरहूम कर गए
वे जानते थे
हम अकेले रह जाएंगे
तब भी
समझ नहीं आता
क्यों बिछुड़ना पडता है अपनों से
वे तो गए
हम तो जीकर भी मर गए
हर पल पीडा
यह तो वही जान सकता है
जिसने अपनों को खोया हो
जिंदगी चलती रही अपनी रफ्तार से
हमारा समय तो वही ठहर गया
जहाँ साथ छूट गया
इस घाव का मरहम भी तो नहीं है
टीसता है
रीसता है
पर ठीक नहीं होता
वैसे का वैसा
इतने सालों बाद भी
महसूस होता है
जैसे कल की ही बात हो
न पुरानी पडती है
न भूलती है
न जीने देती है
करें तो क्या करें
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment