प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ हमारा मीडिया
इस समय कर क्या रहा है
कौन सी पत्रकारिता कर रहा है
केवल जी हुजूरी कर रहा है
किसी को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है
अपनी रोटियाँ सेंकने के लिए
क्या वास्तव में बिक चुका है हमारा मीडिया
कुछ जो ईमानदारी से काम करते हैं
ओझल भी हो जाते हैं
उनको भूला भी दिया जाता है
टिकते वही है जो चापलूस हो
दरबारी संस्कृति हो गयी है
जिसकी सरकार उसका गुणगान
सोनिया गाँधी को कटघरे में खड़ा कर दिया
अर्णव गोस्वामी ने
उन पर हमला करवाने के आरोप में
वे कोई गुंडा और बदमाश है क्या
प्रतिपक्ष की नेता है
बुजुर्ग महिला है
कभी भी शालीनता की सीमा नहीं तोड़ी
इटली की बेटी भारत की बखूबी बहू बनी
आज तक वह यही हैं
इटली नहीं गई हैं
कब तक उनको विदेशी कहा जाएगा
और अब तो इस पत्रकार ने हद कर दी
पैसे के पीछे भागना
इसी देश में तेलगी का भंडाफोड हुआ है
वह पत्रकार कोई बडा भी नहीं था
न पैसे वाला था
पर फिर भी किसी दवाब के आगे झुका नहीं
ऐसे अब इक्के-दुक्के ही है
गोस्वामी जी तो पूरा चैनल चलाते हैं
पैसा कहाँ से आया
यह भी जानना चाहिए
केवल चिल्लाकर और दबाने से सच्चाई बदल नहीं जाएंगी
जनता सब देख रही है
समझ रही है
फिर सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं
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