थोड़ा रूक जाओ
थोड़ा थम जाओ
थोड़ा आराम फरमा लो
थोड़ा गिले शिकवे कर लो
थोड़ा अपनों से बतिया लो
थोड़ा घर को भी आबाद कर लो
कुछ दिनों की तो बात है
फिर वही रौनकें होगी
वही गाडियाँ दौड़ लगाएंगी
वही मोटर साइकिल फर्राटे भरेंगी
वही रेलगाड़ी पटरी पर दनदनाती जाएंगी
वही हवाई जहाज उडान भरेंगे
सब होगा
दिन भी व्यस्त
रात भी जगमग
पहाड़ की रौनक वही
वही सुबह की सैर
वही आपस में मिलना-जुलना
यह तब जब सब सलामत
सलामत तब जब लाकडाऊन का पालन
आज दूर हैं
कल पास होंगे
बस थोड़ा सा और इंतजार
तब तक थोड़ा रूक जाओ
थोड़ा थम जाओ
ऐ मुसाफिर
मंजिल कठिन है
पर दूर नहीं है
संकट की घड़ी है
सब्र से काम लेना है
स्वयं को अनुशासित रखना है
यह वक्त भी जाएंगा
पुराने दिन भी लौट के आएंगे
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