गाँव भागता था शहर
आज शहर भाग रहा है गाँव
देश भागता था विदेश
विदेश आ रहा है देश
अपनी जडो में फिर लौट रहे
अपनी मिट्टी की याद आई
या फिर मजबूरी खींच लाई
खेती किसानी कर लेंगे
वापस अब न लौटेगे
यही रहेगे अपने देश
जो भी नौकरी मिले वह कर लेंगे
छोड़ कर चले थे मोह में
वह गांव रास नहीं आता था
वह देश रास नहीं आता था
आज फिर वह याद आया है
उसने नहीं छोड़ा था
तुमने छोड़ा था
फिर उसी डगर पर
उसी माटी में
फिर उसे आबाद करने
अपनी हाजिरी लगाने
अब तक वह बुलाता था
तुम नहीं जाते थे
अनसुनी कर देते थे
तब भी वह तुम्हारे लिए खडा है
आसरा दे रहा है
तुम जहाँ छोड़ गए थे
वह अब भी वहीं है
तुम बदले थे
वह नहीं बदला
इस सच से तुम भी अंजान नहीं
तभी तो जाते जाते शहर को अलविदा कह रहे हो
आज वह गीत याद आ रहा है
हम तो जाते अपने गाँव
सबको राम राम राम
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