समझ नहीं आ रहा
यह हो क्या रहा
कभी कुछ तो कभी कुछ
नया नया फरमान
जनता पालन भी कर रही
आज लगता है यह फरमान है
या जनता के साथ मजाक
खिलवाड़ हो रहा हो जैसे
आज मजदूर को भेजा जा रहा है
वह पहले ही क्यों नहीं सोचा गया
जब हालात बदतर होते गए
तब सरकार की नींद खुली
शराब की दुकान खुली
अब जिंदगी का प्रश्न नहीं है
क्या शराब का महत्व जिंदगी से ज्यादा
पैसा और नशा
दोनों हावी है
जीवन पीछे कराह रहा है
लोग मायूस और बेबस है
सरकार माई बाप लोगों की
वह तो लगता है
डुबा कर ही दम लेगी
बिना सोचे समझे
फरमान जारी कर देना
जब मौत होने लगी
तब चेतना लौटी
न हम अमेरिका है न चाइना
हम भारत है
हमारे देश में अमीर गिनती योग्य
पर गरीब की गिनती नहीं
एक सौ तीस करोड़ की आबादी वाला देश
समस्या भी अलग
पहले नोटबंदी हुई
उससे हासिल क्या हुआ
जनता मरी लाईन में खडी होकर
न जाने क्या क्या परेशानी हुई
सब भूल भी गई
सीमा पर जवान मर रहे हैं
आंतकवाद सर उठाए खडा है
सब अपनी अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं
इस मुसीबत में भी राजनीति हो रही है
बिगडे बोल बोले जा रहे हैं
बांटने का काम हो रहा है
जान की कीमत क्या है
यह समझ से बाहर है
आखिर देश में यह हो क्या रहा है
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