आज भारत सडकों पर
कल जाने कहाँ
कल की तो बात ही मत सोचे
आज की सोचे
आज के हालात तो बद से बदतर
आज पर ही कल निर्भर
जब आज का यह हाल
तब कल क्या होगा
अंदाजा तो होगा ही
युद्ध के बाद की परिस्थिति तो और भी भयावह
लोग अभाव में जिएंगे
अपराध बढेंगा
लूट खसोट होगा
इंडस्ट्री बंद
काम धंधे बंद
मजदूरों का पलायन
स्थिति कब सुधरेगी
कब पटरी पर आएगी
कहना मुश्किल
देश तो पीछे चला गया है
बुलेट ट्रेन की रफ्तार धीमी पड गई है
महाशक्ति के रूप में उभरने का सपना सपना ही रहेगा
विश्व देख रहा है
महाशक्तिशाली को
जो सडक पर भूखे चल रहा है
दम तोड़ रहा है
जन्म ले रहा है
तब उसका भविष्य क्या ??
वर्तमान तो संभल नहीं रहा है
सब मौन साध बैठ गए हैं
जो हो रहा है वह होने दो
अब तो हमारे बस से बाहर
बिल में छुप गए सारे के सारे
अब न जुमला निकल रहा है
न बयानबाजी
असली बात तो यह है
अब ऊंट पहाड के नीचे आया है
सपना सडक पर डोल रहा है
आज की सोचे
तो सच यही है
आज भारत सडकों पर
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