हम सब एक हैं
यह हम हमेशा से कहते आए हैं
मानते भी आए हैं
लेकिन आज लगता है
यह संपूर्ण सच नहीं है
आज जब आपदा से सारा विश्व जूझ रहा है
तब हमारे यहाँ तो प्रांतवाद चल रहा है
जम कर राजनीति हो रही है
सत्ता की उठा पटक हो रही है
एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है
देशवासियों की समस्या तो दरकिनार
सब अपना अपना जुगाड़ लगा रहे
जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे
अपनी असफलता का ठीकरा दूसरे पर
अवसरवादिता का बोलबाला
किसका शासन
किसकी सरकार
कौन जिम्मेदार
यह तो सामान्य जनता की समझ से बाहर
न उनके पास रोजी है
न रोटी है
असहाय और बेबसी का आलम है
सब कोई पीस रहा है
अनेकता में एकता कहीं नहीं
एकता का बंटवारा हो रहा है
सब कुछ बंटाधार हो रहा है
कभी दोष इस पर
कभी दोष उस पर
मीडिया भी क्या कर रहा है
किसकी पैरवी कर रहा है
यह तो वही जाने
नेता तो भूले ही हैं
मीडिया भी भूली है
सरकार तो चुप है
कब जुबान खुलेंगी
कहा नहीं जा सकता
कोई लडाने का मौका तलाश कर रही होगी
आज एकता तो दूर खडी सिसक रही है
प्रांतीयता सर उठा रही है
कौन मेरा नेता
कौन तुम्हारा
सब खेमों में बंटे हुए
विपदा की घड़ी है
एकता गायब है
हमारे देश में संशाधन नहीं
विदेश में डंका
प्रांतो के बीच सीमा रेखा
इसमें मेरा भारत तो कहीं नहीं दिखता
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