पहले पढाता था
आज सब्जी बेचता हूँ
तब ब्लेक बोर्ड पर गुणा भाग सिखाता था
आज सब्जी का हिसाब किताब करता हूँ
पहले बच्चों के सवाल सुलझाता था
आज ग्राहकों से माथा पच्ची करता हूँ
पहले बडी बडी बातें करता था
जीवन दर्शन समझाता था
आज सबकी बातें सुन लेता हूँ
सही बोले तब भी
गलत बोले तब भी
व्यापार करना है
तब सुनना है
बच्चे नहीं जो चार बात सुना दी
लेक्चर झाड दिया
पहले कुर्सी पर बैठता था शान से
अब गली गली भटकता हूँ
पहले बच्चे आते थे
अब मैं जाता हूँ
सारा ज्ञान धरा रह गया
जब पेट भरने का सवाल आया
परिवार चलाने का प्रश्न उठा
तब जो कर सको वही करों
सब्जी बेचो
ठेला लगाओ
असली जीवनदर्शन अब समझ आ रहा है
करोना के कारण कुछ भी करना है
नहीं तो आजीविका कैसे चलेगी
पढाना हो या सब्जी बेचना
सबका कारण एक ही
पैसा कमाना
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