हम सालों साल घुटते रहते हैं
कुढते रहते हैं
कुछएक की बातों को लेकर
वे तो कहकर भूल जाते हैं
हम ताउम्र याद रखते हैं
भले ही बाद में वह कितना अच्छा क्यों न हो
जो बात दिल में धर कर गई
वह कर गई
माना कि अपमान की अग्नि से निकलना आसान नहीं
पर इस अग्नि में जलते रहने से क्या फायदा
इस अग्नि के हवन कुंड में स्वयं भस्म हो जाओगे
जलाने वाले का कुछ नहीं
जलने वाले का नुकसान
छोड़ दो उन बातों को
खाक कर दो
जला दो
स्वयं नहीं जलना है
क्यों इतने कमजोर बने
बातों में आखिर रखा क्या है
जो कुछ नहीं कर सकता
वह तो बातें ही बनाएंगा
उसको ही जलने दो
उसकी जलन के साथ उसको ही भस्म होने दो
ऐसे भस्मासुर लोगों को छोड़
बस अपने ऊपर ध्यान देना है
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