Friday, 12 June 2020

दुख का रोना मत रोए

दुख दुख दुख
बहुत हुआ
अब बंद करो मुख
जब देखो तब दुखडा
नहीं देखने का मन करता इनका मुखडा
कहीं ऐसा न हो आपके साथ
मत चर्चा करें इसकी
कोई नहीं समझता
जिस पर बीती वहीं जानता
हंसते रहिए
मुस्कराते रहिए
दुख को दबाकर रखिए
उजागर नहीं करना
हर किसी के सामने
महफिल का रंग फीका न हो
किसी के चेहरे पर शिकायत का भाव न हो
लोग दुराव न करें
कम्पलेन बाॅक्स न कहें
यहाँ हर कोई हंसना चाहता है
खिलखिलाना चाहता है
कहकहे लगाना चाहता है
किसी के दुख और पीड़ा से कोई सरोकार नहीं
तब दिखावे के लिए ही सही
जज्बातो को मत उजागर करें
अपने तक ही सीमित रखें
सही भी है
जो जितना गहरा घाव लिए बैठा दिल में
वह आहे भरते भी उतना ही सकुचाता है

No comments:

Post a Comment