वह गृहणी है
घर की स्वामिनी है
सबकी देखभाल उसकी जिम्मेदारी
घर का हर काम
साफ सफाई से लेकर हर एक की इच्छा पूर्ण करने की
अलग-अलग नाश्ते
अलग-अलग भोजन
सबकी फरमाइश भी अलगअलग
वह सब संभालती है
घर के हर सदस्य का ख्याल रखती है
बुजुर्ग हो या बच्चा
सब उस पर निर्भर
हर बात याद रखनी है उसे
हर हिसाब-किताब याद रखना है उसे
सदस्यो को जगाने से लेकर रात का बिस्तर बिछाने तक
दूध से लेकर दरवाजा बंद करने तक
सालोसाल यही चलता रहता
वह भी कमजोर होती है
उम्र ढलती है
बीमार पडती है
अब पहले जैसी नहीं रही
पर घर के सदस्यों को तो फर्क नहीं पड़ता
उन्हें तो अब भी वही नजर आती है
उसे कोई छुट्टी नहीं
बहुत ताली बजी
एक उसके लिए भी
जो दिन रात खटती है
तुम्हें खुशियों से भरती है
भोजन की थाली सजाती है
परोसती है
कभी उसकी भी थाली सजा दो
उसके लिए भी थाली बजा दो
ताली बजा दो
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment