जिंदगी जन्नत है
जब खुशगवार हो
हंसना , मुस्कुराना , खिलखिलाना
कितना अच्छा लगता है
पर उसकी भी तो माकूल वजह हो
आप गमगीन हो
तब भी चेहरे पर मुस्कान हो
यह तो संभव नहीं
है तब भी वह असली नहीं
दिल रोता है
तब वह मुख पर भी दिखता है
ऑखे भी उदास होती है
क्योंकि ऑखे भी तो हंसती है
सब भागीदार होते हैं
चेहरा तो दर्पण है मन का
वह दर्द कैसे छुपाए
मजबूरी उसकी
वह होठों पर जबरदस्ती मुस्कान ले आए
कोशिश तो करता है
असफल हो जाता है
दर्द कहीं न कहीं झलक ही जाता है
हंसते हंसते रो देता है
काबू करने का भरसक प्रयत्न
पर सफल नहीं हो पाता
ऑसू सब कुछ कह देते हैं
मन की पीडा बयां कर देते हैं
जन्नत तो उनके लिए
जिन्हें दर्द का पता नहीं
मन मारकर रह जाना
ऑसू पी जाना
तब भी बनावटी जामा ओढे रहना
उसका अंजाम भी तो वैसा
जिससे सब अंजान
मुस्कान दिखता है
दर्द नहीं दिखता
जिस दिन दर्द दिखेगा
कोई उसका हमदर्द बन जाएगा
तब शायद उसको भी एहसास हो
कि कोई अपना है
उसके लिए तो जीना है
जीने का मजा तो तभी
जब साथ साथ चलने वाला हो
तब लगेंगा
जिंदगी जन्नत है
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