भारती का दिल
भारती का मन
भारती का काम
यह बताना नहीं
दिखता है
घर से बाहर तक
पी टी टीचर
सबसे बढकर
कदमताल और लेझिम
करता रहता है इनका बदन
इस उम्र में भी है जोश
जो सबको दे मात
घर की सजावट
फूलों से लगाव
भक्ति से सराबोर
मन आज भी करता कदमताल
इनका वश चले तो सत्तर और अस्सी भी
सबको दिखा सकते हैं ठेंगी
है आजी पर आज भी सब पर भारी
मैडम हमारी
जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो
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