जब उसके हाथ में झाडू रहता है
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
जब उसके हाथ आटे से सने होते हैं
जब आटा गूंथ रही होतीहै
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
जब दहकती गर्मी में रसोईघर में
पसीने में लथपथ खाना बना रही होती
हाथ में चिमटा और कलछी
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
जब कडकती ठंडी में
जूठे बर्तन और ओटला साफ करती
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
जब बच्चों के पीछे रात रात भर जागती
उनके सर पर पानी की पट्टी रखती
तब किसी को उसकी नींद की फिक्र नहीं होती
सुबह सुबह सबके नाश्ते की तैयारी
स्कूल छोड़ना
कभी-कभी होमवर्क भी करवाना
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
दोनों हाथों में सामान की थैली
ढोते हुए जब आती है
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि
यह सब वह करें तब तो ठीक
लेकिन इन्हीं हाथों में जब पकड़ती है मोबाइल
तब सबकी दृष्टि बदल जाती है
जैसे कोई अपराध कर रही हो
चकला - बेलन चले तो ठीक
छुरी - कैंची चले तो ठीक
क्योंकि यह काम है वह दूसरों के लिए
अपने लिए थोड़ा सा समय निकाला
वह सबकी नजर में खटका
हमेशा हाथ में मोबाइल
नहीं कोई परवाह
जब देखो उस पर लगी रहती हो
यह सुनना हर औरत की नियति
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