किसान अनाज उगाता है
सबसे खराब वह खाता है
गृहणी रोटी बनाती है
बची बासी रोटी वह खाती है
पुलिस सबका त्योहार मनवाती है
उसका अपना घर सूना रहता है
सैनिक रक्षा करता है
उसके घर का रक्षक कौन ??
शिक्षक होनहारो को राह दिखाता है
उसके शिष्य बडे बडे ओहदे पर
वह ताउम्र शिक्षक ही बना रहता है
माँ हमेशा माँ ही रहती है
त्याग की मूर्ति बनने की अपेक्षा
बडे ही हमेशा क्षमा करें
छोटे उत्पात करते रहे
ऐसे न जाने समाज के कितने लोग
जिन पर सब टिका है
यह जब डगमगाए
तब सारा ढांचा ही डगमगा जाएंगी
धरती माता न जाने क्या क्या सहती है
जिस दिन जरा सा हिल जाती है
भूचाल आ जाता है
सब नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है
जो आधार है
उस पर सब निर्भर
यह एहसास तो दिलों में रहना जरूरी है
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