मैं हैरान रहता हूँ
मैं परेशान रहता हूँ
मैं तनाव ग्रस्त रहता हूँ
मैं उदास रहता हूँ
मैं चिंतित रहता हूँ
यह सब क्यों
चिंतन करा पता चला
मैं भूतकाल में रहता हूँ
मैं भविष्य काल में जीता हूँ
वर्तमान की ओर तो ध्यान ही नहीं जाता
तब क्या हुआ था
अब क्या होगा
यह तब और अब के चक्कर में फंस कर रहता हूँ
चक्कर काटता रहता हूँ
गोल गोल घूम फिर उसी स्थान
कभी इधर कभी उधर
कभी दाएं कभी बाएं
एक टीसता है
दूसरा डराता है
बीच वाला बुत बना देखता है
समझ नहीं पाता
आखिर यह चाहता क्या है
भूत और भविष्य के चक्कर में
मुझे नजरअंदाज कर डाल रहा है
जबकि सच तो है
जो है सो मैं ही हूँ
इस समय भी इसका साथ मैं ही निभा रहा हूं
कब यह मेरी अहमियत को समझेंगा
और तनाव - परेशानी से बाहर निकलेगा
यह बस मेरी ओर ध्यान दें
सब आप ही आप ठीक हो जाएगा
क्योंकि अतीत और भविष्य के गर्भ में मैं ही हूँ
मुझे सुधार ले सब सुधर जाएंगा
अतीत और भविष्य के भंवर को छोड़
वर्तमान से दोस्ती कर ले
जिंदगी का सफर आसानी से कट जाएगा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment