किसी समय का अचूक निशानेबाज
पुलिस में अधिकारी
किसी समय की जानी मानी एडवोकेट
कोई इंजीनियर
कोई कलाकार
जब सडक पर विक्षिप्त अवस्था में मिलते हैं
मानसिक संतुलन खो चुके होते हैं
भीख मांग रहे होते हैं
तब दुख होता है
योग्यता सडकों पर भीख मांग रही है
फटे पुराने , मैले कुचैले कपडों में
जिनका कभी रूतबा था
कोई आइ ए एस की तैयारी करने वाली कचरा बीन रही है
कितनी बडी विडंबना
फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहे हैं
एटीट्यूड भी दिख रहा है
पर उनको वही सडक पर रहना है
वह इस सभ्य समाज में नहीं रहना चाहते
इनकी इस अवस्था का जिम्मेदार क्या केवल वे ही हैं
या और भी कुछ कारण
समाज , सरकार , परिवार
इन सबकी भी तो कुछ जवाबदेही बनती है
कहीं न कहीं कुछ गलत हो रहा है
ठीक तो कुछ भी नहीं है
पूरी व्यवस्था
पूरी संरचना
दर्द होता है
दुख होता है
शर्म महसूस होता है
कम से कम पेट भर खाना
दो जोड़ी कपडा
सर पर छत
हर मानव की जरूरत
साथ में प्रेम और सद्भभाव
टूटे को और तोड़ना
इसका परिणाम सडक पर बैठ
योग्यता गंधा रही है
भीख मांग रही है
गिडगिडा रही है
ठंड में ठिठुर रही है
यह तो घातक है
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