सीता , उर्मिला ,मांडवी , श्रुतिकृति
राजा जनक और सुनयना की बेटियां
चार सगे भाई
चार सगी बहनें
विवाह राजा दशरथ के बेटों से
अगर यह बहने न होती तो
रामायण की कथा भी कुछ और होती
त्याग किया एक - दूसरे के लिए
कौन अपने पति को भाई और भाभी की सेवा करने चौदह वर्ष वन में जाने की अनुमति दे देती
कौन अपने पति को खडाऊं की पूजा करने और संन्यासी बन कुटिया में रहने की अनुमति दे देती
इतना बडा हदय
यह तो तब ही हो सकता था बहनें होने के कारण
इन्हीं के कारण रामायण है
महाभारत नहीं बनाया
हालांकि महारानी कैकयी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी
दोष तो उनका भी नहीं था
महत्वकांक्षा थी
माँ के नजरिये से देखे तो उन्होंने सबसे बैर ले लिया
कौन क्या कहेंगा
इसकी परवाह नहीं की
मेरे बेटे को राजा बनाने के लिए
मैं कुछ भी करूँगी
और किया भी
पर मायूसी और बदनामी हाथ लगी
पति को भी खो दिया
प्राणप्रिय और दुलारे राम को वन भेजा
अपने भरत के लिए
तभी तो वह कहती हैं
निज स्वर्ग इसी पर वार दिया था मैंने
हर तुम तक से अधिकार लिया था मैंने
वहीं लाल आज यह रोता है
मैं विवश खडी कुछ कर नहीं पा रही
मैं तो वीर क्षत्राणी हूँ और आज मैं कुमाता हो गई
पुत्र कुपुत भले हो पर माता कुमाता नहीं हो सकतीं
मैंने तो यह धारणा ही बदल दी
माता भी कुमाता हो सकती है
यह मानवी कमजोरी थी पुत्रप्रेम में स्वाभाविक था
पर विदेह जनक की बेटियों ने यह होने नहीं दिया
माता सुनयना की शिक्षा ने परिवार बचा लिया
रामायण को आदर्श बना दिया
सब त्याग कर रहे थे अपनों के लिए
स्वार्थ और त्याग का परिणाम
यही तो रामायण का संदेश है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment