Sunday, 22 November 2020

आवाज तो मिली है

कौआ कांव कांव की रट लगाए था
उसकी आवाज सुन जी खीज उठा
भगा दिया खिड़की से
फिर एक कबूतर कबूतरी आ बैठे
लगे करने गुटरगू गुटरगू
आज इतवार है
शांति से सोना है
आराम करना है
कुर्सी पर पैर फैला पेपर पढना है
साथ में चाय की चुस्कियां लेना है
पर ये लोग तो भोर में ही आ धमके
सोच ही रहा था
आलस की अंगडाइया ले रहा था
एक - दो चिडिया आ बैठी
लगी सुर में चींचीयाने
नीचे गली में कुत्तों के भौंकने की आवाज
फिर किसी की गाडी की पो पो
स्कूटर की घुर्र घुर्र
आज सब परेशान कर रहे हैं
आवाज मिली है सबको
पर असमय , बिना कारण
वह बहुत परेशान करता है
जब जरूरत हो
जहाँ जरूरत हो
जितनी जरूरत हो
नाप तौल कर बोले
जिह्वा पर नियंत्रण जरूरी
जो सुनना चाहता है
उससे ही बोलना
जबरन सर पर सवार नहीं होना
तभी आपस में मिठास
अन्यथा खटास

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